मत्स्यासन विधि, लाभ और सावधानियां - Matsyasana vidhi, benefits and side effect
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मत्स्यासन विधि, लाभ और सावधानियां – Matsyasana vidhi, benefits and side effect in Hindi

Saima by Saima
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मत्स्यासन विधि, लाभ और सावधानियां – Matsyasana vidhi, benefits and side effect in Hindi
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Table of Contents

  • मत्स्यासन – Matsyasana vidhi in Hindi
  • मत्स्यासन क्या है? – what is Matsyasana vidhi in Hindi
    • मत्स्यासन से पहले किया जाने वाला आसन – Matsyasana se pehle kiya jane wala asana
    • मत्स्यासन करने की विधि – Matsyasana vidhi karne ki vidhi 
      • मत्स्यासन के फायदे – Matsyasana vidhi benefits in Hindi
      • मत्स्यासन करने का समय – Matsyasana vidhi karne ka samay
        • मत्स्यासन करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – Matsyasana vidhi side effect in Hindi
        • मत्स्यासन के बाद किया जाने वाला आसन – Matsyasana ke baad kiya jane wala asana
        • मत्स्यासन वीडियो – Matsyasana videos

मत्स्यासन – Matsyasana vidhi in Hindi

दोस्तों आज आपको एक बहुत ही बेहतरीन आसन की जानकारी आपको मिलेगी. मत्स्यासन ( Matsyasana ) एक बहुत ही बेहतरीन आसन है. मत्स्यासन का अभ्यास हमारे लिए कई तरीके से फायदेमंद साबित होता है. इस आसन के नियमित अभ्यास से हमारे कब्ज की समस्या दूर होती है. 

Matsyasana का अभ्यास ना सिर्फ पुरषों के लिए फायदेमंद होता है बल्कि यह महिलाओं के लिए भी बहुत लाभकारी सिद्ध होता है. आप यह भी कह सकते हैं कि इस आसन के अभ्यास से पुरषों से ज्यादा महिलाओं को फायदा मिलता है. ( योग मुद्रसाना )

मत्स्यासन के अभ्यास के लिए आपको अपने शरीर को मछली की तरह बनाना पड़ता है. इस आसन में आपको अपने गरदन और कमर को पीछे की ओर झुकान पड़ता है. जिससे हमारे शरीर की आकृति मछली की तरह बन जाती है. इस आसन को fish pose के नाम से भी जाना जाता है. ( वजरोली मुद्रा )

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मत्स्यासन क्या है? – what is Matsyasana vidhi in Hindi

Matsyasana की पूर्ण स्थिति में मछली की तरह पानी में बहुत ही सरलता से तेरा जा सकता है. इसी वजह से इसे मत्स्यासन कहा गया है. पद्मासन लगाने वाले के लिए यह आसन बहुत ही सरल है. इस आसन के थोड़े से अभ्यास से ही आप सहजता पूर्वक इस आसन का अभ्यास कर सकते है. यह आसन हमारे पूरे शरीर को लचीला निरोग व सबल बनाता है. ( संभावी मुद्रा )

मत्स्यासन से पहले किया जाने वाला आसन – Matsyasana se pehle kiya jane wala asana

आप जब भी मत्स्यासन ( Matsyasana ) का अभ्यास करने जाए. उससे आप इन आसन का अभ्यास कर लें. इससे आपको कई फायदे है. इससे आपको मत्स्यासन का अभ्यास करने में ज्यादा आसानी होती है और इससे आपको मिलने वाली लाभ में भी काफी बढ़ोतरी होती है. नीचे आप देख सकते है. उन आसनों को. ( योनि मुद्रा )

  • 1. विरासन 
  • 2. सर्वांगासन
  • 3. पिण्डासन
  • 4. ऊर्ध्व पद्मासन
  • 5. कर्नापीड़ासन
  • 6. हलासन

मत्स्यासन करने की विधि – Matsyasana vidhi karne ki vidhi 

यह आसन वज्रासन में बैठकर अथवा पीठ के बल चित लेट कर भी किया जा सकता है. प्रथम स्थिति में पद्मासन में बैठ जाएं. फिर थोड़े पीछे झुकते हुए हाथों व कोहनियों का सहारा लेते हुए पीठ के बल लेट जाएं. ( मंडूकासना )

अब हथेलियों को सिर के दोनों तरफ रखे और उनकी सहायता लेते हुए पीठ एवं सिर को कमर से उठाएं व सिर के अग्रभाग, माथे को जमीन के ऊपर स्थापित करें, ताकि कमर के ऊपर पीठ, पेट, कंधे और गर्दन कमान के सामान ऊपर मुड़ी हुई हो और जमीन से ऊपर उठी हुई हो एवं माथा एवं जांघ पर शरीर का पूरा भाग स्थिर हो. ( शीर्षासन )

घुटने जमीन पर लगे हो व आंखें माथा के सामने की जमीन को देख रही हो. अब दाएं हाथ के बाएं पैर की उंगलियों को पकड़ें व बाएं हाथ से दाएं पैर की उंगलियों को पकड़ लें. 

ऐसी स्थिति में कमर से लेकर पीठ एवं गर्दन तक शरीर एक कमान जैसा बनता है और पूरा शरीर माथा एवं जांघों पर स्थिर रहता है. घुटने पूरी तरह से जमीन पर रखे रहते हैं. यह मत्स्यासन की पुण्यतिथि है. ( कपालभाती प्राणायाम )

शुरू में इसमें 20 सेकंड तक रहे. बाद में अभ्यास के साथ इसे 3 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है. इस आसन को पीठ के बल चित लेट कर भी कर सकते हैं. बाकी प्रक्रिया पूर्वव्रत दोहराया जा सकती है. ( ध्यान मुद्रा )

वापस यथास्थिति में आने के लिए हथेलियों का उपयोग करें. दोनों हथेलियों को सिर के पास रखें एवं से बहुत ही धीरे से उठाकर पीठ एवं सिर सहित जमीन पर टिका दें. फिर थोड़ा करवट लेकर हाथों का सहारा ले वा धीरे से वापस पद्मासन में बैठ जाएं. ( भ्रामरी प्राणायाम )

इस आसन को दो से तीन बार दोहराएं. आखरी बार लेटी हुई स्थिति में पद्मासन को छोड़कर, थोड़ी देर शासन में विश्राम करें. यह आसन सर्वांगासन एवं हलासन का विपरीत आसन है. अतः इस आसन के बाद मत्स्यासन अवश्य करना चाहिए. वह बहुत ही लाभकारी है. ( सूर्य नमस्कार )

मत्स्यासन के फायदे – Matsyasana vidhi benefits in Hindi

मत्स्यासन पाचन तंत्र के लिए बहुत ही उत्तम आसन है. यह सभी पाचन अंगों को सक्रिय व सशक्त करता है. छोटी और बड़ी दोनों आंतों को क्रियाशील करता है एवं कब से निवृत्ति रहता है. पेनक्रियाज व लिवर को सक्रिय करता है. मत्स्यासन मधुमेह में बहुत लाभकारी है. ( चंद्र नमस्कार )

किडनी के रोगों में लाभ देता है. पेट का मोटापा कम करता है. रीड की हड्डी को लचीला बनाता है. कमर का दर्द ठीक करता है. लंबर के रोगों में उपयोगी है एवं हृदय को सशक्त करता है. व क्रियाशील बनाता है. अस्थमा के रोगों के लिए बहुत लाभकारी है. सांस नलीका, टोंसिल व स्वर तंत्रिका के रोगों में बहुत उपयोगी है. 

थायरॉयड, परथायरोइड ग्लैंड को स्वास्थ्य करता है. ज्ञान इंद्रियों को सक्रिय व सबल करता है. सर्वाइकल के दर्द में बहुत कारगर आसान है. गर्दन के पीछे की हड्डी अगर बढ़ी हुई हो, तो लाभदायक है. हटी नाभि ठीक होती है. चेहरे व मुख की झुर्रियां को ठीक करता है. इस आसन के नियमित अभ्यास से चेहरा कांतिमय एवं जीवित है. 

आंखों की ज्योति को बढ़ाता है. स्त्री रोगों में लाभकारी है. माहवारी को नियमित करता है. महिलाओं को बहुत सुंदर बनाता है. अतः यह आसन पुरुषों से अधिक महिलाओं के लिए उपयोगी है. कंधे की जकड़न को दूर करता है. 

फेफड़े सबल होते हैं. अतः रक्त शुद्ध होता है. पिंडली एवं जांघो को मजबूत करता है व पैरों को लचीला बनाता है. व उनकी मांसपेशियों को सबल बनाता है. जांघों की बढ़ी हुई चर्बी को कम करता है. पूरे शरीर को लचीला यौवानमय एवं सबल बनाता है. 

मत्स्यासन करने का समय – Matsyasana vidhi karne ka samay

Matsyasana करने के समय की बात करे, तो आपको मत्स्यासन का अभ्यास सुबह के समय में करना चाहिए. इस आसन का अभ्यास आपको उस समय करना चाहिए, जब सूर्योदय होता हुआ दिखाई दे. ऐसे समय में इस आसन का अभ्यास आपके लिए बहुत लाभकारी है. 

मत्स्यासन करते वक्त किया सावधानी बरतनी चाहिए – Matsyasana vidhi side effect in Hindi

अक्सर यह सवाल लोगो के मन में अवश्य चलता है कि जिस आसन का अभ्यास हम कर रहे है कहीं उस आसन का अभ्यास करने से हमे कुछ समस्या का सामना ना करना पड़ जाए. मत्स्यासन का अभ्यास आपको बेहद सावधानी से करना चाहिए. 

हृदय रोग, हर्निया, पेट से जुड़ी बीमारी हो, तो यह आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. गर्भवती अथवा मासिक चक्र के समय यह आसन वर्जित है. इंफेक्शन या बुखार होने पर भी असर ना करें. अगर आपको कमर से जुड़ी किसी तरह की समस्या है, तो आपको इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. 

योगासन धीरे-धीरे प्रेम पूर्वक करे. आसन करते समय पाने शरीर को आपको कोई भी झटका नहीं देना है. अगर शरीर में कहीं भी पीड़ा हो, तो यह आसन छोड़ आराम करें. अगर अन्य कोई समस्या हो, तो आपको किसी विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. 

मत्स्यासन के बाद किया जाने वाला आसन – Matsyasana ke baad kiya jane wala asana

जैसा कि आप जानते है. अगर किसी से कुछ जाए की कूल कितने आसन है, तो इस सवाल का जवाब देना लगभग नामुमकिन है. इसलिए आप जब भी किसी आसन का अभ्यास करते है, तो उसके बाद भी कुछ आसनों का अभ्यास किया जाता है. नीचे आपको इसकी जानकारी विस्तार से दी जा रही है कि मत्स्यासन के बाद किन आसनों का अभ्यास करना आपके लिए फायदेमंद रहेगी. 

  • 1. उत्तान पादासन 
  • 2. पद्मासन
  • 3. बद्ध पद्मासन
  • 4. शीर्षासन
मत्स्यासन वीडियो – Matsyasana videos

मत्स्यासन का अभ्यास काफी सरलता से किया जा सकता है. लेकिन कुछ मामलों में इस आसन को करने में कुछ कठिनाई का भी सामना ना करना पड़ता है. लेकिन हम आपको ज्यादा से ज्यादा सुविधा उपलब्ध कराना चाहते हैं, ताकि आप आसानी से किसी भी आसन का अभ्यास कर सके. 

इसी कारण हम आपको अपने लगभग सभी आर्टिकल में Matsyasana videos डालते है. जिससे आपकी भी आसन की बारीकियों को आसानी से समझ कर उस आसन का अभ्यास अनुशासन रूप से कर सके. इस तरह आप इस आसन का पूरा फायदा ले सकें. 

नोट : अगर आपको मत्स्यासन ( Matsyasana ) का अभ्यास करने में किसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. या आपके पास इससे जुड़ा किसी तरह का सवाल है, तो आप हमसे संपर्क कर सकते है. हमारी टीम आपकी सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करेगी. 

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Saima mallick is an excellent web content writer in health and nutrition. Her expertise in the subject stems from in-depth research and knowledge that she gained over the years. Her interest in science coupled with a bachelor's degree in biotechnology proves as an added advantage and further adds value to her writing. She is highly interested in science, thus writing quality content became her virtue.

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